मुंबई की पुरानी म्हाडा इमारतों का होगा पुनर्विकास... 388 इमारतों के 30-40 हजार परिवारों को मिलेगी राहत  

Mumbai's old old buildings will be redeveloped... 30-40 thousand families will get housing in 388 buildings

मुंबई की पुरानी म्हाडा इमारतों का होगा पुनर्विकास... 388 इमारतों के 30-40 हजार परिवारों को मिलेगी राहत  

मुंबई की 30 साल पुरानी म्हाडा इमारतों के पुनर्विकास का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। सेस इमारतों की तर्ज पर एफएसआई का लाभ देकर इनका पुनर्विकास किया जाएगा। इस निर्णय का लाभ 388 इमारतों में रहने वाले 30 से 40 हजार परिवारों को मिलेगा। इस बारे में अगले सप्ताह अधिसूचना जारी होने की संभावना है।

मुंबई : सूबे की शिंदे-फडणवीस सरकार ने दक्षिण मुंबई की 30 साल पुरानी म्हाडा इमारतों के पुनर्विकास का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। सेस इमारतों की तर्ज पर एफएसआई का लाभ देकर इनका पुनर्विकास किया जाएगा। इस निर्णय का लाभ 388 इमारतों में रहने वाले 30 से 40 हजार परिवारों को मिलेगा। इस बारे में अगले सप्ताह अधिसूचना जारी होने की संभावना है।

सह्याद्री गेस्ट हाउस में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, गृहनिर्माण विभाग के प्रधान सचिव भूषण गगराणी, सांसद राहुल शेवाले, भाजपा जिलाध्यक्ष मिलिंद तुलस्कर एवं म्हाडा पुनर्रचित संघर्ष समिति के पदाधिकारियों की बैठक इन इमारतों के पुनर्निर्माण का रास्ता साफ हो गया।

विकास नियंत्रण नियमावली की धारा 33 (24) में संशोधन कर 33 (7) के सभी लाभों को लागू कर इमारतों का पुनर्विकास करने को लेकर सरकार सकारात्मक है। इस संबंध में अगले सप्ताह अधिसूचना जारी हो सकती है। सरकार के इस फैसले से जर्जर हो चुकी म्हाडा इमारतों में रहने वाले हजारों परिवारों को लाभ मिलेगा। म्हाडा की तरफ से इमारतों के पुनर्विकास का प्रस्‍ताव पेश किया गया था। इस पर सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की गई थी। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद जल्द ही फैसला होने की संभावना है।

म्हाडा ने मुंबई में 14,000 से अधिक पुरानी और जर्जर इमारतों का पुनर्निर्माण किया है। इस इमारतों के किराएदारों के घरों का क्षेत्रफल 160 से 225 वर्ग फुट है। पुरानी इमारतों के रख-रखाव का खर्च बढ़ गया है, इसलिए इन इमारतों के पुनर्विकास की लगातार मांग जा रही थी। विकासक भी इन इमारतों के पुनर्विकास के लिए आगे नहीं आ रहे थे, क्योंकि उन्हें पुनर्विकास में पर्याप्त एफएसआई उपलब्‍ध नहीं हो रही थी।

इन इमारतों का निर्माण कार्य 70 से 80 के दशक में किया गया था। इमारतों में कई परिवार रहते हैं। इनमें से कई की हालत जर्जर है। सबसे बड़ी समस्या कॉमन टॉयलेट की है। कई इमारतें पांच मंजिला हैं, लेकिन उनमें लिफ्ट नहीं है। इससे वरिष्ठ नागरिकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सरकार के फैसले से इन लोगों की समस्याओं का स्थाई रूप से समाधान हो सकेगा।

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